आपको जानकर बेहद खुशी होगी कि रमज़ान मुबारक की आमद-आमद पर रमज़ान मुबारक का इस्तिक़बाल और इस्लाहे मुआशरह की गर्ज़ से एक बज़्म बनाम बज़्मे बरकाते रमज़ान व इस्लाहे मुआशरह सजाई गई।
जिसमें सुलतानपुर के अकसर ओलमा व मस्जिदों के इमाम शिरकत किये और रोज़े ,ज़कात,नमाज़,गुस्ल ,वज़ू बाप की जायदाद में बेटियों और तमाम औलाद का हिस्सा,तौहीद व रिसालत के अहकाम व मसाइल बयान हुए।खुसूसियत के साथ मौलाना सलमान रज़ा अज़हरी जामिया रौनाही ने अपने बयान मे कहा कि दुनिया मे जीने के लिये शरीअत का कनून व निजाम अपने उपर लाजिम करना जरूरी है। जकात फर्ज है देने वाला अपना फर्ज अदा करता है किसी पर एहसान नही करता। जो लोग बहनो को बाप की जायदाद मे हिस्सा नहीं देते वह ज़ुल्म करते है। और मौलाना मनज़ूर खान अज़ीजी सुलतानपुर ने अपने बयान में कहा कि रसूल की गुलामी शिर्क से बचाती है,अल्लाह की जात व सिफात मे किसी के शरीक करना शिर्क है। उन्होंने इस पुर फितन दौर मैं अकीदे की हिफाजत के लिए अहले सुन्त व जमाअत जिसे मसलके आला हजरत कहते हैं उसपर मजबूती से कायम रहने की नसीहत की।मौलाना शकील अहमद मिस्बाही ने नमाज और रोज के छोड़ने वालों पर वही दे सुनाएं हाफिज मुदस्सर साहब ने हराम माल पर और सूद पर रोशनी डाली मौलाना दिलशाद साहब ने गुनाहों के तौबा करने की फजीलत पर भरपूर रोशनी डाली मौलाना खालिद रज़ा शबे कद्र पर कारी गुलाम रब्बानी साहिब पर मौलाना महबूब रजा ने गुस्ल के फराइज वाजिबात पर हदीस व कुरान की रौशनी में बयान किया।मौलान बिलाल अहमद नूरी ने तअस्सुर पेश किया। बरकते रमजान की महफिल सजाई गई जिसकी निजामत मौलाना इमरान बरकाती,सरफरिश्ती मौलाना तारिक हबीबी, कयादत मुफ्ती अकील अहमद मिसबाही ने की।साथ ही साथ इस प्रोग्राम में बहुत सारे ओलमा भी शरीक हुए।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद