2012 में सपा से बगावत कर भीम निषाद ने लड़ा था जलालपुर से निर्दलीय चुनाव, 1.15 लाख हैं जिले में निषाद वोटर
सुल्तानपुर में 25 मई को लोकसभा चुनाव होना तय हुआ है। समाजवादी पार्टी ने यहां पैराशूट कंडीडेट के रूप में अंबेडकरनगर के भीम निषाद को प्रत्याशी बनाया है। वे 2012 में सपा से बागी होकर जलालपुर से चुनाव लड़े उन्हें 30 से अधिक वोट मिले थे। वही सुल्तानपुर में 1.15 हजार निषाद वोटों के बलबूते सपा ने भीम निषाद पर जो दांव लगाया है उससे सवाल उठ रहा कि क्या उन्हें भाजपा के लिए डमी कंडीडेट के रूप में उतारा गया है।
बसपा और भाजपा में रह चुके हैं भीम
भीम निषाद अंबेडकरनगर के जलालपुर विधानसभा अंतर्गत रफीगंज के निवासी हैं। उनका परिवार आजमगढ़ के अतरौलिया विधानसभा में रहता है। 2012 के बाद वह बसपा में शामिल हो गए और बसपा ने उसे शाहगंज विधानसभा का प्रभारी बना दिया था। लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में जब टिकट नहीं मिला तो भीम निषाद बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वे जलालपुर विधानसभा से टिकट मांग रहे थे लेकिन 2019 के उपचुनाव में जब भाजपा ने भीम निषाद को टिकट नहीं दिया तो वह सपा में शामिल हो गए। जिसके बाद से वे सपा में विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें अखिलेश यादव व अंबेडकरनगर के सपा के कद्दावर नेता लालाजी वर्मा का खास माना जाता है।
एक दशक से भाजपा के पास है सीट
बता दें कि सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर एक दशक से भाजपा का कब्जा है। 2014 में यहां से वरुण गांधी ने 4,10,348 वोट पाककर बसपा क पवन पांडेय 1,78,902 वोटों से हराया था। यहां सपा तीसरे नंबर पर थी। 2019 में मेनका गांधी ने 4,58,281 वोट पाकर गठबंधन उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह सोनू को 13866 वोटों से शिकस्त दी थी। बसपा यहां 1998 और 2004 में दो बार खाता खोल चुकी है लेकिन सपा अबतक यहां की सीट नहीं जीत सकी है।
बसपा कुर्मी पर खेल सकती है दांव
वही इस बार जहां भाजपा से अबतक जहां मेनका गांधी के नाम की चर्चा गर्म है। वही बसपा से जिला पंचायत सदस्य उदयराज वर्मा के नाम की चर्चा बनी हुई है। ऐसे में सपा एकबार फिर यहां की सीट जीतने में फेल दिख रही है।