लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस लगातार पिछड़ों और दलितों की बात करने और उसकी हितैसी बनने की कवायद में जुटी रहती है, जिसके चलते इस बार लोकसभा चुनाव में दलित प्रत्याशी को भी बढ़ चड़ कर मौका दिया जा रहा है, कांग्रेस ने प्रत्यशियों की अपनी पहली ही सूची में 9 में से 2 सीट पर दलित प्रत्याशियों को मौका दिया है। कहीं ना कहीं बसपा सुप्रीमो मायावती के वोट बैंक पर सीधा घात लगाने की जुगत में है, लेकिन सुल्तानपुर नगर कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में एक ऐसी दुर्लभ तस्वीर सामने ए जिसको देखकर हर कोई सोचने पर मजबूर हो जाएगा, कि मोहब्बत की दुकान वाली कांग्रेस पार्टी में नफरत की रोटी भी सेकी जा रही है।
राजनीति में दलित मतदाता की है सक्रिय भूमिका
कांग्रेस को केवल अल्पंसख्यक समुदाय के समर्थन से उसे आगे बढ़ने में मदद नहीं मिलेगी। यदि कांग्रेस बसपा के दलित वोटरों में सेंध लगा सकती है तो वह बीजेपी को लोकसभा सीटों पर एक मजबूत दावेदार के रूप में खुद को रख सकती है। यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर दलित मजबूत स्थिति में है। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए उन्हें लुभाना मजबूरी है।
मोहब्बत की दुकान वाली कांग्रेस का सामने आया नफरती चेहरा
कांग्रेस देशभर में भारत न्याय जोड़ो यात्रा के माध्यम से जहां एक और दलित अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है वहीं उनके ही पार्टी कार्यालय के पदाधिकारी अपने शीर्ष नेतृत्व के उद्देश्यों को पलीता लगाने का काम कर रहा है ,दरअसल सुल्तानपुर में कांग्रेस कार्यालय के भीतर, जिला अध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा के कार्यालय में बामसेफ, डीएस4 और बसपा जैसी संघठन और पार्टी के संस्थापक और दलित राजनीतिक आइकॉन कांशीराम की तस्वीर अलमारी के पीछे नजर आई, जहां पार्टी कार्यालय में कांग्रेस व अन्य कांग्रेस की राजनीतिक नेताओं की तस्वीर यथास्थान दिखी वही काशीराम की तस्वीर अलमारी के पीछे पड़ी हुई नजर आयी।
आखिर कांग्रेस के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना और दलित समुदाय के आइकॉन माने जाने वाले कांशीराम की तस्वीर जिस तरह नजर आई ओ कही न कही मानसिकता को दर्शाती नजर आ रही है।।
वहीं पूरे मामले में कांग्रेस के पूर्व नपा प्रत्याशी वरुण मिश्रा ने बताया कि होली मिलन समारोह कार्यक्रम के दौरान कार्यालय में साफ सफाई के दौरान उतारी गई थी तस्वीर। हम और हमारी पार्टी सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है