सीजेएम ने निरस्त की पुलिस की विवेचना, 30 अप्रैल को उपस्थित होने के आदेश।।
पुलिस की विवेचना निरस्त करते हुए सीजेएम बटेश्वर कुमार ने फरार नीशू तोमर पर दुष्कर्म, धन हड़पने व आईटी एक्ट के तहत मुकदमाचलाने का आदेश दिया है। मामला बहु चर्चित महिला सिपाही और उसके साथ लैंगिक अत्याचार करने वाले इंस्पेक्टर का है। पुलिस कार्यालय में तैनात रही एक महिला कांस्टेबल ने 14 जुलाई को एक एफआईआर कोतवाली नगर में लिखाया था. जिसमे उसके हलियापुर थाने में तैनात रहने के दौरान वहाँ के थानाध्यक्ष द्वारा दुष्कर्म करने पैसा हड़पने तथा अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने का आरोप लगाया गया. जिसकी पुष्टि महिला कांस्टेबल ने अपने कलम बंद बयान में भी किया है. यह भी बताया कि वहाँ से स्थानांतरण होने के बाद भी आरोपित उसके साथ दुष्कर्म और मारपीट करता था. यह भी कि दो पत्रकारों को भी अश्लील वीडियो देकर वायरल कराया गया. उसी की विवेचना के दौरान आरोपित को महिला थानाध्यक्ष ने गिरफ्तार किया फिर वह लापता ही गया. जिसके संबन्ध में इंस्पेक्टर की पत्नी ने भी उच्च न्यायालय तक में याचिका दायर की. अंततः विवेचक ने सभी धाराओं के आरोप झूठा मान मात्र गाली व जान से मारने कोई धमकी देने का आरोप पत्र न्यायालय में भेज दिया. जिसपर कांस्टेबल के अधिवक्ता संतोष पांडे ने प्रोटेस्ट दाखिल किया था. जिसकी सुनवाई सोमवार को होने के बाद आदेश हुआ कि इंस्पेक्टर नीशू तोमर पर दुष्कर्म धन हड़पने व अन्य धाराओं में भी मुकदमा चलने के साक्ष्य है.
आरोपित को बचाने के लिए की मनमानी विवेचना!!
विवेचक पूर्व सीओ ने अपनी विबेचना में कलम बंद बयान व कॉल डिटेल और वायरल वीडियो को पर्याप्त साक्ष्य नहीं माना और इसके लिए उच्च व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख भी किया. जिसको निरस्त कर सीजेएम बटेश्वर कुमार ने लिखा है कि विवेचक को विधिक ज्ञान का अभाव है साथ ही उसनें ऊपरी न्यायालयों के ताज़ा निर्णय नहीं देखें जिनमे कलम बंद बयान को ही पर्याप्त साक्ष्य माना गया है. आदेश में टिप्पणी की गई है कि विवेचक ने आरोपित को बचाने के लिए ऐसी लिखा पढ़ी की गई है जो निरस्त होने योग्य है।।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद