14 हजार से जीतने वाली मेनका गांधी की बढ़ेगी दिक्कत
सुल्तानपुर में भाजपा बुरी फंस गई है। सपा ने उसके बेस वोट निषाद में सेंधमारी करते हुए भीम निषाद को प्रत्याशी बनाया हुआ है। वही अब बसपा कुर्मी कार्ड खेलने के फिराक में है। अंबेडकर जयंती या दूसरे दिन पार्टी उम्मीदवार की बीएसपी घोषणा करेगी। ये वोट बैंक भी लंबे समय से बीजेपी के ही पाले में जाता रहा है। अब अगर ये मैदान में आ गया तो 2019 में 14 हजार से जीत दर्ज कराने वाली मेनका गांधी की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
निषाद समुदाय ने पहली बार अपने वर्ग के प्रत्याशी को वोट करने का बनाया मन।
जिले में करीब ढाई लाख के आसपास निषाद वोटर हैं। सपा ने यहां से अंबेडकरनगर के रहने वाले भीम निषाद को उम्मीदवार बना दिया है। यहां के इतिहास में पहली बार किसी दल ने निषाद बिरादरी का कंडीडेट उतारा है। ऐसे में निषाद बिरादरी में अपनी जाति का प्रत्याशी मैदान में आने काफी हर्ष का माहौल देखा जा रहा है। इस वर्ग ने बोलना भी शुरू कर दिया है कि हमारी बिरादरी के बारे में जिस दल ने सोचा हम उसी दल की ओर रहेंगे। बीते लोकसभा व विधानसभा में ये वर्ग भाजपा में बड़ी संख्या में जाता रहा है। अब अगर ये वर्ग जाति पर आधारित उम्मीदवार की ओर घूमा तो भाजपा का नुकसान होना तय है।
बसपा 1999 और 2004 रिपीट करने की तैयारी में
उधर बहुजन समाज पार्टी भी अपर कास्ट के ट्रेंड को यहां दरकिनार करके जिला पंचायत सदस्य उदय राज वर्मा पर दांव खेलने जा रही है। उदय राज ने चुनावी तैयारी पूरी कर ली है। केवल औपचारिक घोषणा का इनतेजार है। यहां लाखों की संख्या में कुर्मी वोटर भी हैं। इसके अलावा दलित वोटर अग्रिम पंक्ति में हैं। ऐसे में दलित कुर्मी कांबिनेशन और फिर बड़े पैमाने पर नाराज ब्राह्मण मतदाता व कुछ प्रतिशत मुस्लिम वोटर अगर छटक कर बसपा के खेमे में पहुंच गए तो 1999 और 2004 जैसा दृष्य बसपा यहां रिपीट कर सकती है।
घनश्याम तिवारी हत्याकांड से नाराज ब्राह्मण वोटर मेनका और भाजपा से है नाराज
मेनका गांधी की यहां मुश्किल उसी समय से बढ़ी हुई है जब से भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट रखा है। दरअस्ल 2019 का उन्हें चुनाव जिताने में संगठन से ज्यादा वरुण का योगदान था। क्योंकि पीलीभीत का चुनाव संपन्न होने के बाद वरुण यहां पहुंचे थे और घूम घूम कर उन्होंने मां के लिए वोट मांगा था। यही वजह है कि इस बार अपने प्रचार में पहली मर्तबा मेनका गांधी को अपने भाषणों में पीएम मोदी का नाम बराबर लेना पड़ रहा है। वही घनश्याम तिवारी हत्याकांड के बाद से ब्राह्मण वोटर भाजपा और मेनका से खफा है ये उनके लिए पहले से शुभ संकेत नहीं था। हाल ही में विजय नारायण सिंह हत्याकांड में डॉ घनश्याम की पत्नी और भाइयों के नाम जुड़ने से ब्राह्मण वोटर खासा और नाराज़ हो गए। इसका असर सीधा चुनाव पर दिखने वाला है।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद