गठबंधन प्रत्याशी मतदाताओं के बीच नही बना पा रहे अपनी पैठ? शहर के जयादतर वार्डों में नहीं पहुंच सके पूर्व मंत्री राम भुआल?
सुल्तानपुर लोकसभा सीट (38) पर सपा खाता खोलने के लिए व्याकुल है। उसने पहली बार निषाद कॉर्ड खेला है।जो सार्थक होता दिख नहीं रहा। कारण ये कि जब शहर की जनता सवाल करे कि गठबंधन का प्रत्याशी कौन है। तो साफ संकेत है वो पार्टी जमीन पर नहीं हवा में चुनाव लड़ रही है। दरअस्ल रिप्लेसमेंट में टिकट लेकर 17 मई को सीएम योगी के क्षेत्र पूर्व मंत्री राम भुआल यादव मेनका गांधी के मुकाबले पर चुनाव लड़ने पहुंच गए। जिले के पूर्व विधायकों और जिलाध्यक्ष की पैरवी पर उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। यही वजह है कि पूर्व विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, सभी अपने क्षेत्रों में दम खम लगाए हुए हैं। लेकिन प्रत्याशी तो मानो यहां सैर सपाटे पर आए हो और चुनाव बाद झोला उठाकर जाने का इनतेजार कर रहे हो। सूत्रों की माने तो आलम ये है कि शहर हो या गांव हर ओर कैंपेन के लिए जाने पर गाड़ी का शीशा उनका चढ़ा ही होता है। हॉय हैलो की जगह गाड़ी के अंदर और नुक्कड़ सभा उनका अधिकतर समय मोबाइल पर ही गुजर जाता है।
कार्यकर्ता ही अब खड़ा कर रहे है प्रत्याशी की कार्यशैली और अनदेखी करने पर सवाल?
सत्ताईस दिनों में वो कहां गए, क्या कहा, जनता ने मौका दिया तो करेंगे क्या, उसका जिले की जनता को ज्ञान नहीं। वो इसलिए क्योंकि ना उनके पास मीडिया सेल है, न सोशल मीडिया पर पत्रकारों का कोई सूचना न कोई प्रेस रिलीज। संभवतः उन्हें इस सबकी जरूरत नहीं। उन्होंने मुगालता ये पाल रखा है कि जैसे 2014 के चुनाव में मोदी लहर थी वैसे गठबंधन की हवा चल रही। हालांकि ऐसा नहीं है, भाजपा के चाणक्य यूपी की एक-एक सीट की मॉनिटरिंग स्वतः कर रहे हैं। ऐसे में उनकी टीम यहां भी गुप्तचरों की तरह काम कर रही है। इस सबके बाद गठबंधन प्रत्याशी किस स्ट्रैटजी के साथ चुनाव लड़ रहे उसे उनकी पार्टी के पदाधिकारी नहीं जान पा रहे। बूथ लेबल पर कार्यकर्ता तो प्रत्याशी की कार्यशैली तक पर सवाल उठा रहे।
अपने नाम पर कम, शीर्ष नेताओं के नाम पर मिलेगा गठबंधन प्रत्याशी को वोट
सूत्रों की बात की जाए तो शहर के मतदाताओं में गठबंधन प्रत्याशी की आमद दर्ज कराने की बात पर चर्चाओं का बाजार गर्म है, मतदाताओं का आरोप है की 17 अप्रैल को रोड शो के बाद आज तक वो दिखाई नहीं पड़े। वार्ड नंबर 25 के निवासी साजन बताते हैं कि कई लोगों ने उन्हें फोन करके सवाल किया कि गठबंधन से लड़ कौन रहा है। कमोबेश ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनके मित्र यही सवाल कर रहे। इसलिए ये कहा जा सकता है गठबंधन से आए प्रत्याशी को जो भी वोट मिलते हैं उसमें उसके अपनी मेहनत के 20 % मत होंगे, बाकी सारे मत गठबंधन के शीर्ष नेताओं के नाम पर उसे मिलेंगे।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद