हिंदुस्तान 1 जमहूरी मुल्क है अनेकता में एकता यहां की पहचान है यहां पर जगह -जगह पर बोली बात, रहन-सहन और खान -पान का तरीका अलग होने के बावजूद भी एकता, अखंडता यहां की पहचान यहां की खुसूसियत है यहां की तहज़ीब व संस्कृति को गंगा जमुनी तहज़ीब कहा जाता है। जिसका मतलब है कि गंगा और यमुना एक साथ रहते हैं लेकिन अपनी-अपनी हद में रहते हैं ना गंगा जमुना हो जाती है ना जमुना गंगा। इसी तरीके से भांति-भांति के धर्म का पालन करने वाले हिंदू व मुस्लिम एक साथ चलने वाले और अपनी अपनी हद में रहकर चलने वाले होते हैं ।अगर कोई लीडर इन दोनों को यह चाहे कि यह एक दूसरे के धर्म के मुताबिक काम करें तो यह जम्हूरियत के खिलाफ है। हर नागरिक को संविधान इस बात की इजाज़त देता है कि वह अपने धर्म पर रहते हुए मुल्क के किसी भी कालेज में तालीम हासिल करने,किसी भी संस्था में मुलाजिमत करने किसी भी सांस्कृतिक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के पात्र होंगे। हमारा मुल्क अंग्रेजों का गुलाम रहा, अंग्रेजों को सबसे ज्यादा यही बात चुभती थी इनमें एकता है और जब तक यह एकता बनी रहेगी हम इन पर हुकूमत नहीं कर पाएंगे इसलिए उन्होंने नीित अपनाई फूट डालो और राज करो। आज भी कुछ लोग सत्ता की लालच में हिंदुस्तानी जनता को आपस में लड़ा कर फूट डालो और राज करो की नीति अपनाना चाहते हैं। तमाम नागरिकों को अपना कीमती वोट सही जगह पर बगैर किसी लोभ व लालच के देकर उनके इस मंशा को मिट्टी में मिलाकर एक अच्छे भारत सच्चे भारत की स्थापना के लिए आगे आना चाहिये।अपने वोट को अपना मौलिक अधिकार,और नागरिक अधिकार जानकार उसका इस्तेमाल करना जरूरी है ऐसे देश में मतदान ही वह ताकत है जो जुल्म से भरी सत्ता को धूल चटा सकता है। जो प्यार और मोहब्बत की गंगा बहा सकता है. यह मुल्क ऐसा है कि जहां शासक जनता चुन्ती है। यहां चुनाव के जरिए से हुकूमत बनाई जाती है और विधानसभा यह संसद भवन हो उनके मेंबर जनता अपने इलाके से चुनकर भेजती है।
एक बात याद रखने की है और पूरी तवज्जो देने की है कि यहां की हुकूमत धार्मिक नहीं है मज़हबी नहीं है मतलब है कि हुकूमत का कोई मजहब और धर्म नहीं ।लेकिन यहां की जनता धार्मिक है वह अपने धर्म के मुताबिक जिंदगी गुजारने के लिए खुद मुख्तार है हुकूमत किसी धर्म विशेष का पक्ष लेकर हुकूमत नहीं कर सकती।
अब इतनी बात जानने के बाद जनता को चाहिए की अपना मतदान जरूर करें उनका मतदान ही उनकी ताकत है मतदान ही के जरिए से देश के विकास के लिये योग्य वह कर्मठ जुझारू प्रत्याशी चुनकर सदन में भेजें जिससे देश तरक्की करता रहे और अमन व शांति का माहौल बना रहे।
मतदान के ताल्लुक से एक बात यह भी याद रखनी चाहिए कि वह गुप्त रूप से हो यानी हम अपना मत किसको देंगे हमारा प्रत्याशी कौन है यह बात जाहिर करने की जरूरत नहीं है और जब हुकूमत धार्मिक नहीं हो सकती तो धर्म के नाम पर वोट मांगने वालों को वोट देना दुरुस्त भी नहीं हो सकता। इसलिए जो देश को तरक्की के लिए अपना एजेंडा पेश करें, जो वाकई यह चाहता हो की देश को सही तौर पर चलने के लिए राजनीति की जरूरत है, जो विकास चाहता हो, जो बेरोजगारी को दूर करना चाहता हो, जो देश में अमन और शांति को बरकरार रखते हुए हुकूमत करने का मन बनाए हो, जो हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई को देश में रहने के लिए शिक्षा, रोजगार में बराबरी के लिहाज से एक आंख से देखता हो उसे मतदान किया जाए।
इस देश का हर नागरिक देश का गर्व है इसलिए हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपने वोट का सही इस्तेमाल करें और सही हुकुमरान चुनकर देश को विकास की राह पर ले चले।
"हमारा मत दान हमारा अधिकार
हमारी ताकत हमारी ललकार"
अकील अहमद कादरी मिस्बाही
जामिया इस्लामिया रौनाही की वाल से..