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न झुकेंगे, न बंटेंगे...कसमऊ में मनाई गई अम्बेडकर जयंती

न झुकेंगे, न बंटेंगे...कसमऊ में मनाई गई अम्बेडकर जयंती

सुल्तानपुर/ यूपी 
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ग्राम कसमऊ में शुक्रवार शाम को डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती की गूंज पूरे इलाके में सुनाई दी। गांव की मिट्टी ने इस दिन बहुजन चेतना का ऐसा उत्सव देखा, जिसमें बूढ़े से लेकर बच्चे तक की आंखों में जोश था और दिलों में साहेब के प्रति सम्मान। अम्बेडकरवादी विचारधारा की इस मिसाल बने कार्यक्रम में गांव के साथ-साथ आस-पास के जनपदों से भी भारी संख्या में लोगों की भागीदारी रही। 


कार्यक्रम में जैसे ही मऊ जनपद से आए राष्ट्रीय मिशन गायक किशोर कुमार पगला ने माइक संभाला, माहौल पूरी तरह जोशीला हो गया। उनकी आवाज़ में वो ताक़त थी जो सीधे दिलों में उतर गई। उन्होंने एक के बाद एक कई जनजागरण गीत प्रस्तुत किए, जिनमें बहुजन समाज को एकजुट होकर सामाजिक क्रांति की ओर बढ़ने का संदेश दिया गया। उनके गीतों पर बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी झूमते दिखे।  


इस दौरान सुरेश बौद्ध ने बाबा साहब अम्बेडकर और भगवान बुद्ध के जीवन संघर्ष पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने नायकों के विचारों को नहीं समझता, वह खुद को खो देता है। सुरेश ने युवाओं से बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लेने और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाने की अपील की।  


सफल उद्यमी और आरकेबी इंटरप्राइजेज के निदेशक शैलेन्द्र भीम ने बाबा साहब की आर्थिक सोच पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब तक बहुजन समाज आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होगा, तब तक वास्तविक आज़ादी अधूरी रहेगी। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज को व्यापार की ओर कदम बढ़ाना चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके और अपनी लड़ाई खुद लड़ सके।  

प्रधानाध्यापक डॉ. राजकरण ने अपने भाषण में शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार बताया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जिस संविधान को हमें सौंपा है, उसे बचाने की ज़िम्मेदारी अब बहुजन समाज की है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे संविधान के हर अनुच्छेद को पढ़ें और समझें ताकि कोई भी ताक़त उन्हें गुमराह न कर सके।  

बामसेफ के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार त्यागी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बहुजन समाज को अब राजनीति से लेकर मीडिया तक हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करानी होगी। उन्होंने कहा कि आज का दौर चुनौतियों से भरा है और हमें एकजुट होकर अपने हकों के लिए संघर्ष करना होगा। उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने हक में करने और बहुजन चेतना को फैलाने का आह्वान किया।  

डॉ. जयभीम ने अपने वक्तव्य में अम्बेडकरवाद को आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बताया। उन्होंने कहा कि अगर बहुजन समाज को सम्मान, अधिकार और अवसर चाहिए तो उसे अम्बेडकर के रास्ते पर चलना ही होगा। उन्होंने सामाजिक विषमता पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि यह लड़ाई सिर्फ नारों से नहीं, बल्कि ज़मीनी बदलाव से जीती जाएगी।  

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार गौतम और रमेश चंद्रा रहे, जिन्होंने महीनों पहले से तैयारियों की कमान संभाल रखी थी। दोनों ही कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी मेहनत ने इस आयोजन को सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन में बदल दिया।  


सभा में सम्भोले वर्मा, अशोक, शिव बहादुर, राजकुमार यादव, राम सुभावन, मोहर्रम अली, रामबालक, राम खेलावन, कुलदीप कोरी, अरविंद बौद्ध, रमेश कुमार, रामजगीर, परशुराम, दयाराम, उदयराज गौतम, रेनू गौतम, जय भीम पिंटू, रमेश कुमार, बृजेंद्र समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए, गांव की गलियों से लेकर मंच तक बस एक ही नारा गूंज रहा था जय भीम! जय संविधान!

@सरफराज अहमद 

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